रोहिणी ने लिखा कि मैं जानती हूं, मेरी चुनौती स्वीकारने का साहस उन लोगों में नहीं है, जो झूठ और फरेब के दम पर ही सियासत करते आए हैं और आज भी उसी झूठी-फरेबी परंपरा को बड़ी बेशर्मी से आगे बढ़ाए जा रहे हैं।
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