नेता जी बड़े गुरूर में थे कि उन्हीं के प्रत्याशी की जीत होगी। ऐसी मंशा पालने वाले नेताओं की संख्या कम नहीं थी। लेकिन, वे यह जानने के लिए मतगणना केंद्र तक भी नहीं गए कि उनके प्रत्याशी हार रहे हैं या जीत रहे हैं।
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