फिर होली आई है और पूर्णिया के लोग उस दिन को याद कर रहे हैं जब होली की परंपरा यहां की माटी से शुरू हुई। बनमनखी का सिकलीगढ़ धरहरा आज भी उस दिन का जीवंत गवाह है।
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