राज्य में राजनीतिक ध्रुवीकरण की नींव इतनी मजबूत हो गई कि विस चुनाव में परिवारवाद भी कोई मुद्दा नहीं रहा। ध्रुवीकरण की गंगा में महागठबंधन के नेताओं के सगे-संबंधियों ने भी हाथ धो लिया।
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